महाराणा प्रताप भाग-1
उदय-सरोवर का तट ! तट से कुछ दूर हटकर घने वृक्षों की डालियों से आठ- दस घोड़े बंधे हुए थे| उनसे इधर एक वृक्ष की छाया में एक थकी आयु का तेजस्वी व्यक्ति खड़ा था|
पढ़ना शुरू करेंमायड़ थारो वो पूत कठे
हल्दी घाटी में समर लड़यो, वो चेतक रो असवार कठे? मायड़ थारो वो पुत कठे? वो एकलिंग दीवान कठे? वो मेवाड़ी सिरमौर कठे? वो महाराणा प्रताप कठे?
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महाराणा प्रताप
मेवाड़ का वीर योद्धा महाराणा प्रताप
इस श्रंखला में महाराणा प्रताप के प्रेरणाप्रद और अनुकरणीय चरित्र को प्रस्तुत किया गया है। उनके प्रेरणाप्रद जीवन की यह कहानी युवाओं के हृदयों में राष्ट्रप्रेम, संकट से जूझने का सहस और वीरता के भावों का उद्भव करेगी।
महाराणा प्रताप भाग-29
उदयसागर का तट । सुन्दर शामियाने तने थे भीतर राजसी ठाठ-बाट से बैठने आदि की व्यवस्था थी। सोने-चाँदी के बर्तनों में भोजन की व्यवस्था की जा रही थी। प्रताप और मानसिंह[…]
Read moreमहाराणा प्रताप भाग-28
प्रातःकाल का समय था। वृक्षों के पत्तों से छन-छनकर प्रातःकाल के सूर्य की किरणें महाराणा को झोंपड़ी पर पड़ रही थीं। वृक्षों के एक झुरमुट में महाराणा प्रताप ध्यान में[…]
Read moreमहाराणा प्रताप भाग-27
“क्या?” महाराणा ने बीच में ही बात काटते हुए तनिक जोश के साथ कहा – “मैं आपके साथ आगरा चलूँ, ताकि आपके सम्राट के सामने मस्तक झुककर भीख माँग सकूँ,[…]
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